एक ऐसे आदमी की संघर्ष कथा जो अपने जीवन की आपाधापी एवं ऊहापोह की मानसिकता के कारण जीवन की अमूल्य उपलब्धियों को नकारते हुए उस बीहड़ में सब कुछ खो देता है जो केवल मनुष्य को प्राप्त है, मगर जिन्दगी उसकी मुट्ठी की रेत की तरह खिसकती चली जाती है। पंजाबी से हिन्दी में अनूदित।